“मयखाना अष्टादश पुराणों, वेद वेदांगों की ज्ञान राशि का सारभूत संकलन है” – प्रो विनय कुमार पांडेय,मंत्री श्री काशी विद्वत्परिषद्

प्रो विनय कुमार पांडेय,मंत्री श्री काशी विद्वत्परिषद् मयखाने के गूढ़ रहस्यों को प्रकट करते हुए कहते हैं कि :-

एक ही ग्रंथ एक ही स्वरूप भावनाओं के अनुरूप बोध कराता है। चार वेद हैं, उपवेद हैं,18 पुराण हैं, स्मृतियां हैं, उपनिषद हैं जिसमे ज्ञान – विज्ञान भरा हुआ है सबको पढ़ने का सामर्थ्य हममें नहीं है, तो उनके तत्त्वों का उनमें निहित ज्ञान द्वारा विश्व कल्याण का मार्ग कैसे प्रस्फुटित हो ? समय- समय पर अष्टांग योग आदि के द्वारा उन तत्वों का साक्षात्कार करके गुरुजन, संत, महर्षि के द्वारा अष्टादश पुराणों, वेद वेदांगों की ज्ञान राशि के सारभूत ग्रंथों की रचना होती रही है । जैसे वाल्मीकि रामायण हुआ, रामचरितमानस हुआ, कभी गुरु गोबिंद साहब ने लिखा इसी तरह मयखाना भी सार तत्वों का ही संकलन है जिसमे सारी विद्याएं समाहित है अब आप जिस अर्थ में उसका अवगाहन करना चाहते हैं, जिस अर्थ में बोध करना चाहते हैं उस दृष्टि से पढ़ेंगे । जैसे वेदों में वैज्ञानिक विज्ञान के सूत्र ढूंढ लेते हैं जो ब्रह्मतत्त्व को प्राप्त करने वाले ऋषिगण हैं वे ब्रह्म साक्षात्कार का मार्ग ढूंढ लेते हैं और कर्म काण्ड करने वाले विप्रगण भगवान को दूध, दही, नैवेद्य अर्पण करने का मंत्र ढूंढ लेते हैं और पाश्चात्य लोग मंत्र को गाने की दृष्टी से देखते हैं । इसलिए जिस तरह की दृष्टि हमारी होगी, जितना हमारा ज्ञान गूढ़ होगा और जितनी हमारी तार्किक और सूक्ष्म बुद्धि होगी वैसे ही फलों की प्राप्ति भी होगी।

अभी तो केवल मयखाना शब्द पर चर्चा हो रही थी सोचिए जब उस ग्रंथ के एक – एक पद्यों पर चर्चा होगी तो उससे क्या गूढ़तम रहस्य आपके सामने प्रकाशित होंगे।

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